Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -17-Aug-2022 - उम्मीद



उम्मीदों की सभी कतारें लगती जा रही ,
जिंदगी भी धीरे-धीरे ढलती जा रही।
बच्चों से लगा रहे उम्मीदें कुछ कर जाने की, 
उठते हुए तूफानों को पार कर जाने की।
जीवन ये किस मोड़ पर आ गया सबका, 
अंधेरों में खो गया अब यहाँ हर तबका।
हौले हौले से जिंदगी जो मुस्कुराती  थी बाहों में ,
अब दम तोड़ रही वो जीवन की  बीच राहों में।
उम्मीदों की लंबी-लंबी कतारें लग गई ,
इन सभी के बीच में जिंदगी सिमट गई।
सुख दुख का दामन तुम पकड़े रहना ,
उम्मीदों को अपनी तुम जकड़े रहना।
धूप छांव तो आनी जानी जिंदगी में ,
रमा ले खुद को ईश्वर की बंदगी में।
पतझड़ का मौसम भी अब न रहेगा ,
फूलों सा दिल गुलशन में खिला रहेगा।
दुनिया में न आलम होगा लाचारी का ,
झाला खत्म होगा अब महामारी का।
उम्मीदों की सभी कतारों को हम पूरा करेंगे ,
मर भी जाएं चाहे सपनों का न चूरा करेंगे।।



#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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9 Comments

Raziya bano

18-Aug-2022 10:23 AM

Nice

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Abhinav ji

18-Aug-2022 08:40 AM

Very nice👍

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Punam verma

18-Aug-2022 07:45 AM

Very nice

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